१) बेटी
कोई पैमाना नहीं है
जो बेटे के मुकाबले
घटा बड़ा कर
नापी जाए।
२) औरत
कोई मर्द की नाक नहीं है
जो इज्जत के हिसाब से
जोड़ काट कर
रखी जाए
३) दादी
कोई फ्रेम में लगी फोटो नहीं है
जिसे दीवार पर सजाओ
फिर अपनी सहूलियत से
चाहो तो देखो या न देखो।
शिरीष खरे
Shirish KhareC/0- Child Rights and You189/A, Anand EstateSane Guruji Marg(Near Chinchpokli Station)Mumbai-400011
गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010
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