वॉइस ऑफ इंडिया में प्रबंधन की मनमानी जारी है। कई कर्मचारियों को नौकरी से जबरन निकाल दिया गया है। प्रबंधन की अपनी स्टाइल है और उस स्टाइल के तहत लोगों से इस्तीफा मांगा जा रहा है। इसमें काफी कुछ आपत्तिजनक है, लेकिन फिर भी सब कुछ बर्दाश्त किया जा रहा है।
प्रबंधन से अपील बस इतनी है कि वो कम से कम एक तार्किक तरीके से पेश आए।
- पहली अपील तो ये कि जिन लोगों को आप नौकरी से निकाल रहे हैं, उनका फौरन हिसाब करें। उन्हें फुल एंड फायनल का चेक फौरन सौंपा जाए।
- आखिर जिस शख्स की नौकरी जा रही है, वो क्यों एक, दो या चार महीने तक इंतजार करे? वो इंतजार भी कर सकता है लेकिन आप ऐसी शर्त कैसे किसी पर थोप सकते हैं?
- आपके संस्थान के माहौल से तंग आकर जो लोग नौकरी छोड़ गए हैं उनका फुल एंड फाइनल करने में आखिर इतनी देर क्यों की जा रही है?
- सुनने में आया है कि कुछ पत्रकार साथियों को वीओआई ऑफिस में घुसने से रोक दिया गया है। ये निहायत आपत्तिजनक है, इसका विरोध किया जाना चाहिए।
- हम जहां हैं वहीं से ऐसे तालिबानी रवैये का विरोध कर सकते हैं।
पत्रकार साथी जो हमेशा दूसरों के हितों की लड़ाई लड़ने का दंभ भरते हैं ऐसे मौकों पर क्यों गम खा जाते हैं?
ये लड़ाई किसी एक साथी की नहीं हम सभी की है.... कम से कम हम उन साथियों को अपना नैतिक समर्थन तो दे ही सकते हैं जो वीओआई प्रबंधन की मनमानी का शिकार हो रहे हैं।
शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2009
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2 टिप्पणियां:
प्रभु कलयुग है........
संविधान की जिन धाराओं के तहत मीडिया को अभिव्यक्ति और सूचना का अधिकार मिलता है, मीडियाकर्मी खुद के लिए उन अधिकारों का रत्ती भर भी प्रयोग नहीं कर सकते। जो करते भी हैं उन्हें 'नौकरी' से हाथ धोना पड़ता है। सभी की चेतना एक साथ जागने से रही, बाकी बची बात लड़ने की तो इस निर्धनता की अवस्था में विरोध करने तक की ताकत नहीं बची है।
प्यारे पशुपति क्यों आपको-हमें उन लोगों से अलग सुविधाएं चाहिए जिनकी हम बात करते हैं... त्रिवेणी समूह के मालिक बिल्डर हैं,वो आप और हमसे वैसे ही बात करेंगे जैसे कि अपने दूसरे कर्मचारियों से करते रहे हैं। आपमें और हममें उसे बांस करने की कूवत होनी चाहिए, अकेले नहीं- तो सामूहिक। अगर कुछ करो तो मैं साथ हूं।
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