रविवार, 15 नवंबर 2009

क्या कोई इस स्टोरी को फॉलो करेगा ?

(अपने साथी शंभु झा के साथ कैब में मारपीट हुई, लूट हुई। एक पत्रकार खबर बना और फिर बात आई गई हो गई। आदतन यहां भी कोई फॉलोअप नहीं है और शायद होगा भी नहीं। हर शख्स की तरह शंभु झा भी अकेले ही कभी कभार थाने का चक्कर लगा पाए तो लगाएंगे, वरना बात गुम हो जाएगी। हो सका या इस पर कोई कार्रवाई हुई तो आपको सूचना दूंगा। लेकिन तब तक देबांशु झा ने जो पैकेज लिखा था, उसे कुछ कांटछांट के साथ आपके साथ शेयर कर रहा हूं। घटना हम सभी के रिकॉर्ड के लिए भी और उस हकीकत से रूबरू होते रहने के लिए भी, जो मीडिया में रहते हुए हमें कचोटती है, कचोटनी चाहिए।)

न्यूज 24 में बतौर प्रोड्यूसर काम करने वाले शंभु झा १२ नवंबर की रात के साढ़े दस बजे डीएनडी फ्लाईवे पर घर जाने के लिए कैब का इतजार कर रहे थे। तभी उनके पास नीले रंग की एक मारुति कार आकर रुकी। शंभु कैब समझ कर उस कार में सवार हो गए। ये शंभु की सबसे बड़ी गलती साबित हुई, क्योंकि उन्हें मालूम नहीं था, जिस कार में वो बैठे हैं, उसकी स्टेयरिंग लुटेरे के हाथों में हैं।
कार में सवार लोग शंभु को जबरन एक्सप्रेस वे की ओर ले गए। कनपटी पर पिस्तौल सटा दी। और चुप रहने को कहा, जब भी शंभु कुछ कहना चाहते, पीछे बैठा शख्स उनके चेहरे पर पिस्तौल की बट से वार करता। गाड़ी में सवार गुंडे शंभु को देर तक घुमाते रहे। गालीगलौज करते रहे, पीटते रहे। उनके पैसे, मोबाइल छीन लिये। अंगूठी उतार ली। और एक्सप्रेस वे की सुनसान सड़क पर चलती गाड़ी से जबरन उतर जाने को कहा।
ये कहानी उस दिन की है, जब मायावती मेट्रो को हरी झंडी दिखाने नोएडा आई थीं। दिन के उजाले में जब मेट्रो के उदघाटन के लिए सूबे की सीएम मायावती यहां आई थी तब पुलिस की चौकसी थी। चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात थी। क्या मजाल कि परिंदा भी पर मार जाए। मायावती के जाते ही पुलिस अपने मांद में घुस गई। नोएडा शहर एक बार फिर अपनी रफ्तार पर लौट आया। रात के अंधेरा, सर्दी का मौसम और रिमझिम बारिश में भला सड़क पर चलने वालों की सुरक्षा से यूपी पुलिस को क्या लेना देना। नोएडा की कानून व्यवस्था पर गुंडे चढ़ बैठे और एक पत्रकार को लिफ्ट देने के बहाने लूटा, बुरी तरह से मारपीट की। बल्कि न्यूज 24 का ये पत्रकार खुशकिस्मत था कि गुंडों ने उसकी जान बख्श दी। वर्ना एक्सप्रेस वे की इस बेवा सड़क पर शंभु के साथ कुछ भी हो सकता था।
हम यूपी पुलिस से पूछना चाहते हैं कि आखिर क्या वजह है दिल्ली की चौहद्दी पार होते ही कानून व्यवस्था भगवान भरोसे हो जाती है। जिस शहर को यूपी की सीएम सिंगापुर बनाने का ख्वाब देखती है, वहां गुंडे, लुटेरे, बेलगाम क्यों घूमते हैं। इस चमकते शहर की काली हकीकत यही है कि यहां कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। दिन के किसी भी पहर में यहां य़हां कोई लुट सकता है, किसी का कत्ल हो सकता है किसी का अपहरण हो सकता है और आप पुलिस से सिर्फ रिपोर्ट लिखने भर की उम्मीद कर सकते हैं।
(रिपोर्टर-जीतेन्द्र शर्मा, कॉपी- देवांशु झा)

1 टिप्पणी:

Aadarsh Rathore ने कहा…

दुखद घटना है। नोएडा अपराधियों का गढ़ बन चुका है। पुलिस ही इन अपराधियों के साथ दारू पीती हुई दिखाई देती है। यही निठल्ले अपराधियों को बचाते हैं। एक बीड़ी के बंडल तक में बिक जाने वाली यूपी पुलिस से कोई उम्मीद करना बेकार है। बदबू आती है उनकी ख़ाकी से.........