मंगलवार, 16 दिसंबर 2008

मॉडर्न महाजन-१

काफी दिनों से इस पोस्ट को लेकर मंथन चल रहा था, आज आपसे शेयर कर ही लेता हूं।
मौजूदा दौर की मजबूरी कहिए या वक्त की जरूरत मैंने भी कुछ बैंकों के क्रेडिट कार्ड ले लिए हैं। हालांकि बार-बार मैं ये महसूस करता रहा हूं कि ये मॉर्डन महाजन पुराने महाजनों से ज्यादा खतरनाक हैं फिर भी इन कार्ड्स के जाल से बाहर नहीं निकल पा रहा हूं। पिछले दो-ढाई साल के दौरान कई ऐसे वाकये हुए जब मैंने इनसे तौबा करने की ठानी, लेकिन हमेशा टाल गया या ये कहूं कि टाल देना पड़ा। हालांकि आईसीआईसीआई का एक कार्ड मैं रद्द कर चुका हूं।
- इस कार्ड को रद्द करने का कारण भी बड़ा दिलचस्प है। चार-पांच महीनों पहले मैंने एक बार क्रेडिट कार्ड के बिल का नकद भुगतान किया। अगली बार के बिल में १०० रुपये अतिरिक्त जुड़ कर आ गए। मैंने कस्टमर केयर को फोन मिलाया तो जवाब बहुत रूखा था। सामने वाले सज्जन ने कहा कि ये रिजर्व बैंक का सर्कुलर है। बस मैंने भी ठान लिया कि इसे अब रद्द कर देना है। पैसे जमा कराया और एक कार्ड से मुक्ति मिल गई।
- रिजर्व बैंक का ये सर्कुलर भी कम दिलचस्प नहीं है। अलग-अलग बैंक इस सर्कुलर का अपने तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं। आईसीआईसीआई क्रेडिट कार्ड के नकद भुगतान पर १०० रुपये वसूल रहा है, एचडीएफसी ५० रुपये तो एचएसबीसी इसके लिए कोई शुक्ल नहीं लेता। आखिर ये फर्क क्यों है?
ये मॉडर्न महाजनों का पहला फंडा है कि अपने मन से नियमों की व्याख्या करो और कस्टमर या ग्राहक के हर तर्क को खारिज कर दो। खारिज करने का तरीका भी बेहद आसान सा है... एक मशीन की तरह रटे-रटाए जवाब देते रहिए... ये सिस्टम जेनरेटेड है... ये आरबीआई का सर्कुलर है... ये हमारे बैंक का नियम है... आखिर आप क्या करेंगे?
मॉडर्न महाजन के इस दोहरे चरित्र पर बात और भी होगी... इस सीरीज में कुछ और बातें आपसे शेयर करूंगा... उम्मीद है कि ये सीरीज लंबी चलेगी।

5 टिप्‍पणियां:

Aadarsh Rathore ने कहा…

वाकई आज भी ये महाजनों वाली व्यवस्था चल रही है। और आप चाह कर भी इनकी गिरफ्त से नहीं छूट सकते। एक तरफ तो ये मददगार साबित होते हैं वहीं दूसरी ओर नई समस्याएं पैदा ककर देते हैं। मेरे एक जानने वाले हैं जो इन क्रेडिट कार्ड्स के चंगुल में फंसकर अपनी काफी फजीहत करवा चुके हैं। छिपे हुए टैक्स लगाकर बिल पर बिल थमाते गए और बाद में एक दिन रिकवरी के लिए घर में आ धमके। फर्क सिर्फ इतना था कि जहां महाजन के गुंडे लट्ठ लेकर आते थे, वो लोग सूट-बूट और टाई पहनकर आ गए

Neeraj Rohilla ने कहा…

१) कार्ड का फ़ार्म भरते समय पढकर दस्तखत करें ।
२) अपने सभी सवालों के जवाब मिलने के बाद ही क्रेडिट कार्ड लें ।
३) क्रेडिट कार्ड का भुगतान महीने के महीने किसी चेक के माध्यम से करते रहें ।

हें प्रभु यह तेरापंथ ने कहा…

*VERY GOOD






http://ombhiksuctup.blogspot.com/

मनोज द्विवेदी ने कहा…

APKE SERIES KI AGALI POST KA INTAZAR HAI........

पुष्यमित्र ने कहा…

bhai blogbaaji mubarak. hamari yatra 15 ko shuru ho gayi biharbaadh.blogspot.com dekhate rahiye.